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एनटीसीए

हमारे बारे में

व्याघ्र संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल 1973 को व्याघ्र परियोजना आरंभ की गई। व्याघ्र परियोजना विश्व मे अपनी तरह की सबसे बड़ी प्रजाति संरक्षण की पहल रही है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय] भारत सरकार द्वारा व्याघ्र परियोजना निदेशालय की तकनीकी मार्गदर्शन एवं वित्तीय सहायता हेतु अधिकृत किया गया था।

विगत वर्षों मे व्याघ्र परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान एक सांविधिक प्राधिकरण की आवश्यकता महसूस की गई] जिसे व्याघ्र संरक्षण हेतु वांछित कानूनी आधार प्राप्त हो। माननीय प्रधान मंत्रीजी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुशंसा उपरांत एक कार्य दल शक्ति की गई] जिसे देश में व्याघ्र संरक्षण मे आने वाली कठिनाईयों को पता लगाने का कार्य दिया गया। इस कार्य दल की सिफारिशांं में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के गठन के साथ-साथ व्याघ्र परियोजना को वैधानिक एवं प्रशासनिक शक्तियां देकर सृदृढ़ करना भी शामिल था। कार्य दल द्वारा यह सिफारिश भी की गई की प्रतिवर्ष इस संबंध में एक रिपोर्ट केन्द्रीय सरकार के माध्यम से संसद पटल पर रखने हेतु दी जायेगी ताकि व्याघ्र परियोजना की प्रतिबद्धता की समय-समय पर समीक्षा की जा सके] साथ ही स्थानीय लोगों की समस्याओं का भी निपटान@निवारण किया जा सके। गठित कार्य दल की तत्कालिक सिफारिशें निम्नवत है।

  • प्रशासनिक संरचना को पुनः जीवति करना।
  • व्याघ्र संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ करने हेतु वन्यजीव शिकार रोकना] वन्यजीव अपराधियों को सजा दिलवाना तथा वन्यजीव व्यापार में सम्मिलित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को तोड़ना आदि।
  • मानव दबाव कम कर बाघों हेतु व्यवधान रहित क्षेत्रों का विकास करना।
  • स्थानीय लोगों के साथ संबंधों को सुधार करने हेतु सह-अस्तित्व रणनीति बनाना।
  • जंगल] पानी और घास के मैदानों में निवेश करके व्याघ्र रक्षात्मक क्षेत्रों के सीमांत के जंगलों को पुनरूद्धार करना।

वन्यजीव अधिनियम] 1972 प्रद्धत प्रावधानों के अनुसार संविधान संशोधित कर] वन्यजीव अधिनियम 2006 द्वारा परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुये व्याघ्र परियोजना को एक सांविधिक निकाय एन-टी-सी-ए- में परिवर्तित किया गया।

एन-टी-सी-ए- द्वारा व्याघ्र आरक्षों को सांविधानिक आधार प्रदान करते हुये पारिस्थितिकी एवं प्रशासनिक मामलों पर ध्यान दिया जाता है। साथ ही] प्राधिकरण पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों एवं संकटग्रस्त प्रजाति के संरक्षण हेतु संस्थागत प्रक्रिया का सुदृढ़ीकरण करता है। प्राधिकरण प्रेरित एवं प्रशिक्षित अधिकारियों का व्याघ्र आरक्षों के क्षेत्र संचालन पर पदस्थापन के अलावा व्याघ्र संरक्षण हेतु दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।

                       

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